आजकल दुनिया में आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस (AI) की चर्चा हर जगह है। गली-गली में लोग ChatGPT, Gemini या AI फोटो एडिटिंग के बारे में बात कर रहे हैं। लेकिन इसी AI क्रांति से भारत का एक नौजवान ऐसा उभरा है, जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया है। चेन्नई में जन्मे अरविंद श्रीनिवास (arvind srinivas billionaire), जो आज Perplexity AI के सीईओ हैं, केवल 31 साल की उम्र में भारत के सबसे कम उम्र के बिलेनियर बन चुके हैं।
ये सिर्फ एक सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि एक नई सोच और हिम्मत की मिसाल है। कैसे एक साधारण भारतीय परिवार का लड़का IIT से लेकर अमेरिका तक पढ़ाई करता है और फिर अपनी कंपनी से पूरे ग्लोबल टेक सेक्टर को हिला देता है — यही असली किस्सा है।
अरविंद श्रीनिवास कौन हैं?
- जन्म: 7 जून 1994, चेन्नई (तमिलनाडु)
- पढ़ाई: IIT मद्रास (B.Tech + M.Tech इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग), इसके बाद UC बर्कले से कंप्यूटर साइंस में PhD
- शुरुआती काम: OpenAI, Google Brain, और DeepMind जैसे बड़े रिसर्च लैब्स में
- पहचान: 2022 में Perplexity AI की स्थापना
अरविंद ने बचपन से ही टेक्नोलॉजी और साइंस में गहरी रुचि दिखाई। IIT मद्रास से निकलने के बाद उन्होंने रिसर्च की दुनिया में कदम रखा और वहां से सीधे AI के सबसे बड़े नामों के साथ काम किया।
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Perplexity AI: एक छोटे से आइडिया से अरबों डॉलर तक
शुरुआत
2022 में अरविंद ने कुछ साथियों के साथ मिलकर Perplexity AI लॉन्च किया। इसका मकसद था — ऐसा सर्च इंजन बनाना जो सिर्फ लिंक न दिखाए, बल्कि आपके सवाल का सही जवाब इंसान की तरह बातचीत करके दे।
यानि Google की तरह 100 लिंक खोलने की झंझट नहीं, सीधे एक पर्सनल असिस्टेंट की तरह जवाब।
तेज़ी से ग्रोथ
- 3 साल के अंदर कंपनी का वैल्यूएशन 18 बिलियन डॉलर से ज़्यादा हो गया।
- भारत Perplexity का सबसे बड़ा यूज़र बेस बन चुका है।
- अरबों डॉलर की फंडिंग और ग्लोबल इन्वेस्टर्स का भरोसा इस पर टिका हुआ है।
साहसिक कदम: Google Chrome खरीदने का ऑफ़र
दुनिया तब चौंक गई जब Perplexity ने Google Chrome को खरीदने के लिए 34.5 बिलियन डॉलर का ऑल-कैश ऑफ़र दिया।
हालाँकि यह प्रस्ताव व्यावहारिक रूप से नामुमकिन माना जा रहा है, लेकिन इसने अरविंद को दुनिया के सबसे साहसी टेक सीईओ में शामिल कर दिया।
बिलेनियर बनने की कहानी
2025 की Hurun India Rich List के अनुसार, अरविंद श्रीनिवास की संपत्ति लगभग ₹21,190 करोड़ आँकी गई।
इतनी कम उम्र में इस लेवल पर पहुँचना किसी चमत्कार से कम नहीं।
भारत में इससे पहले यह उपलब्धि ज़्यादातर पुराने उद्योगपतियों या विरासत में कारोबार पाने वालों को ही मिली थी। लेकिन अरविंद का सफर बिल्कुल अलग है — ये “Self-Made Billionaire” की असली परिभाषा हैं।
अरविंद का विज़न और विचार
1. शिक्षा पर सोच
अरविंद मानते हैं:
“शिक्षा कोई इवेंट नहीं है, ये एक निरंतर प्रक्रिया है। आप ज़िंदगी भर सीख सकते हैं।”
उनकी यही सोच उन्हें रिसर्च और नए-नए प्रयोगों में आगे ले गई।
2. सोशल मीडिया बनाम AI
उन्होंने युवाओं को सीधी सलाह दी:
“Instagram पर टाइम वेस्ट मत करो, AI सीखो। जो लोग AI टूल्स सीखेंगे, वही आगे रोजगार पाएंगे।”
यानी अरविंद युवाओं को स्क्रॉलिंग छोड़कर स्किल सीखने की सलाह देते हैं।
3. नौकरियों पर AI का असर
उनका कहना है कि आने वाले समय में AI कई नौकरियों को रिप्लेस कर देगा।
- भर्ती (Recruitment) जैसी प्रोफ़ेशन 6 महीने में गायब हो सकती हैं।
- उनका नया प्रोजेक्ट Comet (AI ब्राउज़र) कई दफ़्तरों की असिस्टेंट जॉब्स को बदल सकता है।
4. Google पर कटाक्ष
उन्होंने Google को “एक विशाल नौकरशाही संगठन” कहा और दावा किया कि गूगल को भी अंततः AI एजेंट्स जैसे सिस्टम अपनाने ही पड़ेंगे।
भारत में AI क्रांति और Perplexity
अरविंद ने साफ कहा है कि भारत उनके लिए सबसे बड़ा फोकस है:
- भारत Perplexity का सबसे बड़ा यूज़र बेस है।
- कंपनी भारत में लोकल फंड लॉन्च करने की तैयारी कर रही है।
- इससे भारतीय AI स्टार्टअप्स और यूज़र्स दोनों को लाभ मिलेगा।
भारत में AI का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ रहा है — चाहे फोटो एडिटिंग हो, यूट्यूब कंटेंट हो या बिज़नेस में ऑटोमेशन। ऐसे में Perplexity जैसी कंपनी यहाँ के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ
हर बड़ी सफलता के साथ चुनौतियाँ भी आती हैं:
- Chrome डील का शक: क्या Google कभी इतना बड़ा ब्राउज़र किसी और को बेच देगा?
- तकनीकी रिस्क: डेटा प्राइवेसी, फेक कंटेंट और गलत जवाबों का डर।
- कड़ी प्रतिस्पर्धा: Google, Microsoft और OpenAI जैसे दिग्गजों से टक्कर।
- नियम और कानून: AI पर नियंत्रण और सरकारों की पॉलिसी हमेशा बदलती रहती है।
सामाजिक-सांस्कृतिक महत्व
अरविंद की सफलता एक संदेश देती है:
- भारत का कोई भी नौजवान, अगर मेहनत और दूरदृष्टि से काम करे, तो दुनिया के सबसे बड़े मंचों पर जगह बना सकता है।
- यह सिर्फ व्यक्तिगत सफलता नहीं है, बल्कि भारत के टेक इकोसिस्टम की ताकत का सबूत भी है।
- अरविंद जैसे रोल मॉडल युवाओं को यह विश्वास दिलाते हैं कि “बड़ा सोचो, बड़ा करो।”
भविष्य की संभावनाएँ
- अगर Perplexity Chrome जैसी डील में सफल हुआ, तो इंटरनेट की दिशा ही बदल सकती है।
- Comet जैसे ब्राउज़र AI-first वेब का नया युग ला सकते हैं।
- भारत में AI शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट को और बढ़ावा मिलेगा।
- भारतीय स्टार्टअप्स को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान और निवेश का नया रास्ता मिलेगा।
निष्कर्ष
31 साल के अरविंद श्रीनिवास आज भारत के सबसे कम उम्र के बिलेनियर बन चुके हैं। IIT मद्रास से लेकर UC बर्कले और फिर OpenAI जैसी कंपनियों से होते हुए उन्होंने अपना खुद का साम्राज्य खड़ा किया।
उनकी कंपनी Perplexity AI सिर्फ एक स्टार्टअप नहीं है, बल्कि यह एक सोच है — ऐसी सोच जो गूगल जैसे दिग्गजों को भी चुनौती देने की हिम्मत रखती है।
AI अब सिर्फ टेक्नोलॉजी नहीं, बल्कि किस्मत बदलने वाला हथियार बन चुका है। और अरविंद श्रीनिवास इस क्रांति के असली भारतीय चेहरा बन गए हैं।

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