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भारत में AI से नौकरियों को खतरा कम क्यों? समझिए सरकार का पूरा प्लान और असली वजह!

आजकल हर तरफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI की ही चर्चा है। चैटजीपीटी से लेकर नई-नई AI तकनीकों ने हमारे काम करने का तरीका बदलना शुरू कर दिया है। लेकिन इस बदलाव के साथ एक डर भी जुड़ा है – क्या AI हमारी नौकरियाँ छीन लेगा? यह सवाल हर भारतीय के मन में है। लेकिन घबराने से पहले एक अच्छी ख़बर सुन लीजिए। भारत सरकार के टॉप अधिकारी, आईटी सचिव एस कृष्णन का कहना है कि AI का असर भारत पर अमेरिका और यूरोप जैसे पश्चिमी देशों की तुलना में बहुत कम होगा। चलिए, मैं आपको बताता हूँ कि आईटी सचिव के इस बयान का असल मतलब क्या है और क्यों भारत की स्थिति वाकई मज़बूत है।

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1. AI और नौकरियों पर बड़ी बहस: क्या सच में हमारी जॉब ख़तरे में है?

पूरी दुनिया में इस बात पर बहस छिड़ी हुई है कि AI इंसानी नौकरियों को खत्म कर देगा। यह डर इसलिए है क्योंकि AI वे काम भी कर सकता है जो अब तक सिर्फ इंसान करते थे, खासकर दिमागी काम। इस बहस के बीच, भारत सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) सचिव एस कृष्णन ने एक बहुत महत्वपूर्ण बात कही है। उनके अनुसार, AI निश्चित रूप से ज्ञान-आधारित नौकरियों (knowledge-based jobs) को प्रभावित करेगा, लेकिन भारत पर इसका जोखिम पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले बहुत कम है। यह एक बड़ा बयान है जो हमें राहत देता है, लेकिन इसके पीछे की वजहों को समझना भी ज़रूरी है।

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2. भारत की कहानी अलग क्यों है? समझिए वो दो बड़े कारण

भारत की स्थिति पश्चिमी देशों से बिल्कुल अलग है। आईटी सचिव ने इसके दो मुख्य कारण बताए हैं, जो हमारे लिए एक सुरक्षा कवच की तरह काम करते हैं।

2.1 ‘ऑफिस वाली नौकरियों’ का कम होना

‘ज्ञान-आधारित’ या ‘ऑफिस वाली नौकरियां’ वे काम हैं जिनमें दिमाग का ज़्यादा इस्तेमाल होता है, जैसे सॉफ्टवेयर बनाना, मैनेजमेंट, अकाउंटिंग आदि। आईटी सचिव के अनुसार, भारत के कुल कार्यबल (Total Workforce) में ऐसी नौकरियों का हिस्सा पश्चिमी देशों की तुलना में काफी कम है। इसका सीधा सा मतलब है कि हमारे देश में ऑफिस में बैठकर काम करने वाले लोगों का अनुपात अमेरिका या यूरोप के मुकाबले कम है। इसलिए, जब AI मुख्य रूप से इन्हीं दिमागी कामों को प्रभावित करेगा, तो इसका सीधा असर भारत के अपेक्षाकृत कम लोगों पर पड़ेगा, जिससे हमारा जोखिम सीमित हो जाता है।

2.2 हमारा STEM पावर: चुनौती में छिपा अवसर

STEM का मतलब है – विज्ञान (Science), प्रौद्योगिकी (Technology), इंजीनियरिंग (Engineering) और गणित (Mathematics)। भारत में ज़्यादातर ऑफिस वाली नौकरियाँ इसी STEM क्षेत्र में हैं। एस कृष्णन के मुताबिक, यह भारत के लिए कोई कमज़ोरी नहीं, बल्कि एक बहुत बड़ा अवसर है।

इसे ऐसे समझिए: पश्चिमी देशों में AI मौजूदा STEM नौकरियों को ऑटोमेट करके उन पर दबाव बना सकता है। इसके विपरीत, भारत के लिए अवसर यह है कि हम अपने STEM टैलेंट का इस्तेमाल AI से जुड़ी नई नौकरियों को बनाने, चलाने और मैनेज करने के लिए कर सकते हैं। यानी, जहाँ दूसरे देशों में AI मौजूदा नौकरियों के लिए खतरा बन रहा है, वहीं भारत में यह अपने कुशल युवाओं के लिए रोजगार के नए रास्ते खोल रहा है।

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3. AI हमारा असिस्टेंट बनेगा या बॉस? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या AI पूरी तरह से इंसानों की जगह ले लेगा? इस पर आईटी सचिव एस कृष्णन का मानना है कि निकट भविष्य में ऐसा बिल्कुल नहीं होने वाला है। AI इंसानों की ज़रूरत को खत्म नहीं करेगा, बल्कि उनकी क्षमता को बढ़ाएगा

यह ठीक वैसे ही है जैसे एक लेखक के लिए स्पेल-चेकर टूल गलतियाँ सुधारने में मदद करता है या एक अकाउंटेंट के लिए कैलकुलेटर हिसाब-किताब को आसान बना देता है। AI भी हमारे लिए एक स्मार्ट असिस्टेंट की तरह काम करेगा, जिससे हम अपने दिमागी काम को ज़्यादा कुशलता और सटीकता से कर पाएंगे।

यह एक ऐतिहासिक बदलाव भी है। पहले की औद्योगिक क्रांतियों में मशीनों ने शारीरिक श्रम (Physical Labour) की जगह ली थी, लेकिन AI पहली ऐसी तकनीक है जो मुख्य रूप से दिमागी श्रम (Cognitive Labour) को प्रभावित कर रही है। यह अपने आप में एक ऐतिहासिक बदलाव है, क्योंकि पहली बार तकनीक सीधे तौर पर उन कामों को चुनौती दे रही है जिन्हें हम ‘इंसानी सोच’ का विशेषाधिकार मानते थे।

—————————————————————————Read Also This Post :- AI से नौकरी जाएगी या बचेगी? दोनों ही सूरतों में है बड़ा खतरा! जानिए पूरा सच

4. AI की अपनी सीमाएं: क्यों इंसानों की ज़रूरत हमेशा रहेगी

AI कितना भी स्मार्ट हो जाए, उसकी अपनी सीमाएं हैं। इसकी सबसे बड़ी कमज़ोरियों में से एक है ‘AI हैलुसिनेशन’ (AI Hallucination)।

‘हैलुसिनेशन’ का मतलब है AI द्वारा गलत, मनगढ़ंत या भ्रामक जानकारी देना। इसे एक सरल उदाहरण से समझिए: मान लीजिए आप AI से किसी पुराने फ़िल्मी गाने के बारे में पूछते हैं और वह आपको गायक का नाम और संगीतकार का नाम तो सही बताता है, लेकिन गाने के बोल पूरी तरह से अपने मन से बनाकर बता देता है। इसी को ‘हैलुसिनेशन’ कहते हैं।

इसी वजह से, AI द्वारा तैयार की गई किसी भी जानकारी की निगरानी और उसे जांचने के लिए इंसानों की ज़रूरत लंबे समय तक बनी रहेगी। कोई भी कंपनी बिना इंसानी जांच के AI पर 100% भरोसा नहीं कर सकती।


5. एक नज़र में: भारत बनाम पश्चिमी देशों पर AI का असर

आइए, नीचे दी गई तालिका में भारत और पश्चिमी देशों पर AI के नौकरी प्रभाव की तुलना को आसानी से समझते हैं।

पहलू (Aspect)भारत (India)पश्चिमी देश (America/Europe)
ज्ञान-आधारित नौकरियांकुल वर्कफोर्स में हिस्सा कमकुल वर्कफोर्स में हिस्सा बहुत ज़्यादा
मुख्य जोखिमजोखिम सीमित हैजोखिम बहुत गंभीर है
STEM क्षेत्र की भूमिकानौकरियों के नए अवसर पैदा करता हैमौजूदा नौकरियों पर दबाव बनाता है
AI का संभावित प्रभावमानवीय क्षमताओं को बढ़ाने वालानौकरियों को सीधे तौर पर विस्थापित करने वाला

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6. भविष्य की नौकरियां और भारत के लिए सुनहरा मौका

यह सच है कि AI सिस्टम को बनाने और चलाने के लिए बहुत ज़्यादा पैसा (पूंजी) और कंप्यूटिंग पावर की ज़रूरत होती है। लेकिन इन सिस्टम को चलाने और मॉडल बनाने का काम छोटे लेकिन अत्यधिक कुशल पेशेवर समूहों द्वारा संभाला जाता है।

यह भारत के लिए एक सुनहरा मौका है, क्योंकि हमारे पास कुशल इंजीनियरों, डेटा वैज्ञानिकों और प्रौद्योगिकी विशेषज्ञों का एक मजबूत टैलेंट पूल है जो दुनिया भर में इस AI क्रांति का नेतृत्व कर सकता है। यह प्रक्रिया भले ही पूंजी-प्रधान हो, लेकिन यह भारत के कुशल युवाओं के लिए रोजगार के बिल्कुल नए और रोमांचक अवसर पैदा करेगी।

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7. निष्कर्ष: डरें नहीं, तैयार रहें!

इस पूरी चर्चा का सार यह है कि भारत में AI से नौकरियों को लेकर वैसा खतरा नहीं है जैसा पश्चिमी देशों में है। इसका कारण हमारी अनूठी कार्यबल संरचना और STEM क्षेत्र में हमारी मज़बूती है। AI इंसानों की जगह लेने के लिए नहीं, बल्कि उनकी क्षमता को बढ़ाने के लिए आ रहा है। यह एक सहयोगी की तरह काम करेगा।

(India AI — भारत सरकार द्वारा समर्थित AI पोर्टल):- https://indiaai.gov.in

संक्षेप में, जहाँ पश्चिमी देश अपने मौजूदा ज्ञान-आधारित कार्यबल को AI से बचाने की चुनौती से जूझ रहे हैं, वहीं भारत अपने STEM-आधारित कार्यबल के दम पर AI का भविष्य बनाने के अवसर की ओर देख रहा है।

इसलिए, AI से डरने की बजाय हमें भविष्य के लिए तैयार होने की ज़रूरत है। सबसे ज़रूरी संदेश यह है कि हम सभी को नए कौशल सीखने (अपस्किलिंग) पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, ताकि हम इस नई तकनीक का फ़ायदा उठा सकें और भविष्य की नौकरियों के लिए खुद को तैयार कर सकें। डरें नहीं, तैयार रहें!

प्र.1: क्या AI भारत में नौकरियाँ खत्म कर देगा?
उ: नहीं, भारत में AI का प्रभाव सीमित रहेगा क्योंकि यहां ज्ञान-आधारित नौकरियों का अनुपात कम है और STEM टैलेंट मजबूत है।

प्र.2: भारत सरकार AI को लेकर क्या कर रही है?
उ: सरकार कौशल विकास, डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर और AI रिसर्च पर फोकस करके नए रोजगार और अवसर बना रही है।

प्र.3: AI से किस तरह की नई नौकरियाँ आएंगी?
उ: डेटा साइंस, मशीन लर्निंग, AI मॉडल ट्रेनिंग, प्रॉम्प्ट इंजीनियरिंग, ऑटोमेशन मैनेजमेंट और AI एथिक्स जैसे क्षेत्रों में नए रोल बढ़ेंगे।

प्र.4: आम लोगों को क्या करना चाहिए?
उ: नए डिजिटल कौशल सीखना, अपस्किलिंग और STEM/टेक स्किल्स पर ध्यान देना सबसे जरूरी है।

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