दोस्तों, आजकल भारत में AI की चर्चा हर जगह है – मुंबई-दिल्ली जैसे बड़े शहरों से लेकर छोटे कस्बों तक। सोशल मीडिया खोलते ही AI से बनी तस्वीरें और वीडियो की बाढ़ आ जाती है। लेकिन आज मैं आपको एक ऐसी कहानी बताने वाला हूँ जो आपको रुककर सोचने पर मजबूर कर देगी।
यह कहानी है जेज़ा (Jazza) की, जो एक मशहूर अंतरराष्ट्रीय आर्टिस्ट और यूट्यूबर हैं। कुछ समय पहले तक जेज़ा AI को कला में इस्तेमाल करने के सबसे बड़े समर्थकों में से एक थे। पर अब, एक बड़े यू-टर्न के साथ, वो सबके सामने आकर साफ-साफ कह रहे हैं: “मैं आर्ट और कंटेंट बनाने में जेनरेटिव AI के इस्तेमाल के खिलाफ हूँ।”
इस ब्लॉग पोस्ट में, हम जेज़ा के इस चौंकाने वाले सफ़र को जानेंगे – वो पहले AI को लेकर इतने उत्साहित क्यों थे, ऐसा क्या हुआ जिसने उन्हें अपनी पूरी सोच को 180 डिग्री घुमा देने पर मजबूर कर दिया, और अब वो जेनरेटिव AI के खिलाफ क्यों खड़े हैं। चलिए, इस सफ़र को और गहराई से समझते हैं।
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1. जब AI एक जादू की तरह था: शुरुआती उत्साह का दौर
जेज़ा की AI में दिलचस्पी आज से नहीं, बल्कि लगभग 10 साल पहले शुरू हुई थी। वो टेक्नोलॉजी और कला के इस नए संगम को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहे। 2019 में जब गूगल ने अपना AI क्लिप आर्ट एक्सपेरिमेंट लॉन्च किया, तो जेज़ा ने उसे तुरंत आज़माया। 2022 में DALL-E 2 के आने के बाद तो उनका उत्साह और भी बढ़ गया।
दिसंबर 2022 में, उन्होंने एक वीडियो में AI को लेकर अपने विचार खुलकर सामने रखे, जिसे देखना आज उनके लिए भी मुश्किल है। उस वीडियो में उन्होंने कहा था:
- “मैं मानता हूँ कि AI से बनी कला भी असली कला है।”
- “मेरे हिसाब से AI आर्ट, कला के भविष्य का एक अहम हिस्सा है।”
- “मुझे लगता है कि AI को कला बनाने वाली मशीन के रूप में इस्तेमाल करना सार्थक है, क्योंकि कला लोगों को सोचने और महसूस करने पर मजबूर करती है, और हमें इंसानी तजुर्बे को समझने में मदद करती है।”
संक्षेप में, जेज़ा को लगता था कि AI एक शक्तिशाली नया टूल है जो कलाकारों को नई ऊँचाइयों पर ले जाएगा और उनकी रचनात्मकता को बढ़ाएगा।
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2. सोच में बदलाव की शुरुआत: जब शक के बादल घिरने लगे
अपने AI-समर्थक वीडियो को रिलीज़ करने के कुछ ही हफ्तों बाद, जेज़ा की सोच को पहली ठेस लगी।
- कलाकारों का विरोध: Deviant Art और Art Station जैसी बड़ी आर्ट वेबसाइटों पर असली कलाकारों ने विरोध करना शुरू कर दिया। वे इस बात से नाराज़ थे कि उनकी मेहनत से बनाई गई कला के साथ AI से बनी तस्वीरों को बराबर जगह दी जा रही थी।
- कानूनी मामला: इसके ठीक बाद, जनवरी 2023 में, तीन कलाकारों ने Stability AI, Midjourney और Deviant Art जैसी AI कंपनियों पर मुकदमा कर दिया। उनका सीधा आरोप था कि इन कंपनियों ने उनकी अनुमति के बिना उनके लाखों आर्टवर्क्स का इस्तेमाल अपने AI मॉडल को ट्रेन करने के लिए किया था।
यह वो पल था जब जेज़ा को एहसास हुआ कि यह मामला उतना सीधा नहीं है जितना वो समझ रहे थे। यह सिर्फ एक नए टूल का सवाल नहीं था, बल्कि इसके पीछे और भी गहरी और जटिल समस्याएं थीं। उन्होंने अपना पुराना वीडियो हटा दिया और फैसला किया कि वो इस विषय पर तब तक दोबारा बात नहीं करेंगे जब तक वो अपनी सोच को लेकर पूरी तरह आश्वस्त न हो जाएं। यह एक बौद्धिक बदलाव से कहीं ज़्यादा, एक मुश्किल व्यक्तिगत मंथन था।
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3. AI की कड़वी सच्चाई: वो समस्याएं जो हमें बताई नहीं जातीं
जैसे-जैसे जेज़ा ने इस मामले की गहराई में जाना शुरू किया, उन्हें जेनरेटिव AI से जुड़ी कई गंभीर समस्याओं का पता चला।
पर्यावरण को भारी नुकसान (Massive Environmental Damage): AI को चलाने के लिए विशाल डेटा सेंटरों की ज़रूरत होती है, जो बहुत ज़्यादा ऊर्जा की खपत करते हैं। इसका सीधा असर पर्यावरण पर पड़ता है और आस-पास रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी यह एक बड़ा खतरा है।
कलाकारों की मेहनत की चोरी (Theft of Human Artwork): यह AI की सबसे बड़ी और कड़वी सच्चाई है। जेज़ा अब साफ शब्दों में कहते हैं: “मेरा मानना है कि AI आर्ट, इंसानी क्रिएटर्स की चोरी की हुई मेहनत की नींव पर बनी है।” AI मॉडल को इंटरनेट से करोड़ों तस्वीरें चुराकर ट्रेन किया जाता है, और इसके लिए असली कलाकारों से न तो कोई अनुमति ली जाती है और न ही उन्हें कोई मुआवजा दिया जाता है।
बड़ी कंपनियों का लालच (Corporate Greed): AI की यह दौड़ असल में बड़ी-बड़ी कंपनियों के बीच ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने की होड़ है। यह दौड़ असल में सिर्फ और सिर्फ लालच की है, जिसमें सुरक्षा नियमों या नैतिक मूल्यों का कोई ध्यान नहीं रखा जा रहा। इसका सबसे घटिया उदाहरण Wacom जैसी कंपनी का था, जो कलाकारों के लिए टैबलेट बनाती है, लेकिन अपने विज्ञापन में AI का इस्तेमाल कर रही थी।
मानसिक स्वास्थ्य पर खतरा (Risks to Mental Health): AI के कारण लोगों, खासकर युवाओं के मानसिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी खतरा मंडरा रहा है। “AI साइकोसिस” जैसी नई समस्याएं सामने आ रही हैं, जो दिखाती हैं कि हम इसके खतरों को समझे बिना ही आगे बढ़ रहे हैं।
दिमाग को कमजोर बनाना (Making You Dumber): MIT की एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि जो लोग ChatGPT जैसे टूल पर बहुत ज़्यादा निर्भर रहते हैं, उनकी गंभीर रूप से सोचने-समझने की क्षमता (Critical Thinking) कम हो जाती है। यह सच में हैरान करने वाली बात है, है ना?
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4. AI से बनी तस्वीरें कला क्यों नहीं हैं? एक दिल छू लेने वाला उदाहरण
जेज़ा की सोच में सबसे बड़ा बदलाव “कला” की परिभाषा को लेकर आया। उनके लिए अब AI से बनी तस्वीरें कला नहीं थीं, और इसके पीछे एक बहुत ही व्यक्तिगत और दिल छू लेने वाली कहानी है।
जेज़ा ने अपनी पत्नी के जन्मदिन के लिए एक पेंटिंग बनाने का फैसला किया। यह उनकी पत्नी के पसंदीदा घोड़े की तस्वीर थी, जिसमें उनका बेटा भी साथ था।
- उन्होंने इस पेंटिंग पर हफ्तों तक काम किया और अपना पूरा दिल, अपनी पूरी मेहनत उसमें लगा दी।
- उनका मकसद यूट्यूब व्यूज पाना नहीं था, बल्कि अपनी पत्नी के लिए प्यार और त्याग से भरा एक तोहफा बनाना था।
- जब उनकी पत्नी ने पेंटिंग देखी, तो वो खुशी से रो पड़ीं। इसलिए नहीं कि पेंटिंग बहुत अच्छी थी, बल्कि इसलिए क्योंकि वो जानती थीं कि इसके पीछे जेज़ा की कितनी मेहनत, प्यार और समय का त्याग छिपा है। उस कला के पीछे की इंसानी कहानी ने उसे अनमोल बना दिया था।
जेज़ा कहते हैं, “कला इसलिए कीमती है क्योंकि हम इंसान, कला के पीछे की कहानी में बसी इंसानियत को महत्व देते हैं।”
इसके विपरीत, जब जेज़ा ने उसी तस्वीर को AI से बनवाया, तो नतीजे अच्छे थे, पर उनमें कोई आत्मा नहीं थी। जेज़ा का दृढ़ विश्वास है: “नहीं, मैं यह सच में नहीं मान सकता कि उनमें से कोई भी वास्तव में कला है।” उनका कहना है कि कोई भी टेक्स्ट प्रॉम्प्ट उस भावना, उस कहानी और उस मानवीय यात्रा की जगह नहीं ले सकता जो असली कला को उसका अर्थ देती है।
इसका एक और बेहतरीन उदाहरण है प्रिंसेस मोनोनोके (Princess Mononoke) का। AI से बनी तस्वीर एक आत्माहीन, सेक्सुअलाइज्ड कॉपी लगती है, जबकि असली एनिमेटेड फिल्म का एक फ्रेम कला का एक अद्भुत नमूना है। उस फिल्म को बनाने के लिए हाथ से 1,44,000 से ज़्यादा फ्रेम बनाए गए थे। AI उस मेहनत, उस संदर्भ और उस क्रांतिकारी प्रयास को कभी नहीं समझ सकता।
और अगर आपको अब भी कोई शक है, तो सबसे मजेदार बात सुनिए। जेज़ा ने गूगल के अपने ही AI से पूछा कि ‘कला’ क्या है, और जवाब मिला: “कला, इंसानी रचनात्मक कौशल और कल्पना की अभिव्यक्ति है… जिसे मुख्य रूप से उसकी सुंदरता या भावनात्मक शक्ति के लिए सराहा जाता है।” खुद AI की परिभाषा ही जेज़ा की बात को सही साबित करती है!

5. AI पर सोच का U-Turn: पहले और अब के विचारों में अंतर
जेज़ा की सोच में जो बदलाव आया है, उसे इस टेबल से आसानी से समझा जा सकता है:
| जेज़ा की पुरानी सोच (2022 में) | जेज़ा की आज की सोच (आज) |
| “AI कला है” – क्योंकि इंसान इसे इस्तेमाल करते हैं। | “AI कंटेंट बनाने की मशीन है” – कंटेंट का मकसद आपका ध्यान खींचकर पैसा कमाना है, जबकि कला का मकसद जुड़ाव और भावनाएं हैं। |
| “AI कलाकारों को सशक्त बनाएगा” – इससे नए आइडिया आएंगे। | “AI शॉर्टकट लेने वालों को आकर्षित करता है” – जो कलाकार बनने की यात्रा और मेहनत का सम्मान नहीं करते। |
| “AI कला का भविष्य है” – यह कला को आगे बढ़ाएगा। | “AI कला को ज़हरीला बना रहा है” – यह नए लोगों को कला की यात्रा शुरू करने से हतोत्साहित करता है और खामियों वाली कला की सुंदरता को कम करता है। |
| “AI हमें इंसानी अनुभव के बारे में सोचने में मदद करेगा” | “AI का मकसद सिर्फ पैसा और अटेंशन है” – इसका इंसानी भावनाओं से कोई लेना-देना नहीं। |
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6. इंटरनेट पर ‘स्लॉप’ का सैलाब और हमारी घटती दिलचस्पी
जेज़ा और कई अन्य क्रिएटर्स अब AI से बने कंटेंट को “स्लॉप” (Slop) यानी “कचरा” कहते हैं। यह ऐसा कंटेंट है जिसे बनाने में कोई मेहनत नहीं लगती (जैसे गोरिल्ला के व्लॉग या अजीब-गरीब चीजों को काटते हुए चाकुओं के वीडियो)। इसका एकमात्र मकसद आपका ध्यान खींचना और आपको स्क्रॉल करते रहने पर मजबूर करना है।
इस “स्लॉप” की बाढ़ ने लोगों को थका दिया है और वे अब हर चीज़ पर शक करने लगे हैं। जेज़ा ने अपना एक चौंकाने वाला और परेशान करने वाला अनुभव साझा किया जब उन्होंने स्टॉप-मोशन फिल्म ‘वाइल्डवुड’ (Wildwood) का ट्रेलर देखा। उसे देखते ही उनके दिमाग में पहला ख्याल आया, “यह AI है,” और वो लगभग उसे स्क्रॉल कर चुके थे। यह दिखाता है कि AI कितना नुकसान कर रहा है: यह हमें असली इंसानी कला और मेहनत पर भी भरोसा करने से रोक रहा है। यह सब दिमाग को सुन्न करने वाली चीज़ों के लिए बनाया गया है क्योंकि सोशल मीडिया के एल्गोरिदम ‘शॉक वैल्यू’ को इनाम देते हैं।
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7. तो क्या कोई उम्मीद है? जनता की ताकत
इतनी सारी समस्याओं के बावजूद, जेज़ा को अभी भी उम्मीद की किरण दिखाई देती है। उनका मानना है कि असली ताकत जनता की आवाज़ में है।
इसका सबसे बड़ा उदाहरण हाल ही में देखने को मिला जब मशहूर यूट्यूबर MrBeast ने एक AI थंबनेल जनरेटर लॉन्च किया। लोगों ने इसका तुरंत और ज़ोरदार विरोध किया। उनका कहना था कि इससे असली आर्टिस्ट की नौकरियाँ जाएंगी और प्लेटफॉर्म पर एक जैसा कंटेंट भर जाएगा।
इस सार्वजनिक दबाव का नतीजा यह हुआ कि MrBeast को अपना AI टूल बंद करना पड़ा। यह एक बहुत बड़ी जीत थी, जो साबित करती है कि अगर पर्याप्त लोग एक साथ आवाज़ उठाएं, तो वे AI के नकारात्मक पहलुओं का मुकाबला कर सकते हैं। लोगों में अब जागरूकता बढ़ रही है, ठीक वैसे ही जैसे वे यह जानना चाहते हैं कि उनका खाना कहाँ से आता है।
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8. AI के साथ एक बेहतर भविष्य: क्या यह संभव है?
जेज़ा का कहना है कि अगर जेनरेटिव AI को दोबारा उनका समर्थन चाहिए, तो पूरे सिस्टम को जड़ से बदलना होगा। वो AI की अच्छी संभावनाओं को नकारते नहीं हैं। मेडिकल जैसे क्षेत्रों में यह कैंसर का पता लगाने या जटिल सर्जरी करने में डॉक्टरों की मदद कर सकता है।
लेकिन अगर AI सभी इंसानी नौकरियाँ ले लेगा, तो एक बड़ा सवाल उठता है: लोग चीजें खरीदने के लिए पैसा कहाँ से कमाएंगे?
इसके लिए जेज़ा एक समाधान सुझाते हैं:
- यूनिवर्सल बेसिक इनकम (UBI): एक ऐसी व्यवस्था जहाँ हर किसी को अपनी ज़रूरतें पूरी करने के लिए सरकार की तरफ से एक निश्चित आमदनी मिले, क्योंकि नौकरियाँ आय का मुख्य स्रोत नहीं रहेंगी।
- UBI की फंडिंग: जो भी बिज़नेस पैसा कमाने के लिए AI का इस्तेमाल करते हैं, उन पर एक “टैक्स” या “लाइसेंस” लगाया जाए। इस मुनाफे को फिर से बांटा जाए और इस पैसे को UBI के साथ-साथ वेरिफाइड ह्यूमन आर्ट प्रोजेक्ट्स को सपोर्ट करने के लिए इस्तेमाल किया जाए।
उनका मानना है कि ऐसी व्यवस्था में AI वास्तव में लोगों को कला और अपने शौक पूरे करने के लिए सशक्त बनाएगा, न कि सिर्फ अमीर कॉर्पोरेशनों को और अमीर बनाने के लिए।
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निष्कर्ष (Conclusion)
जेज़ा की कहानी एक AI उत्साही से एक आलोचक बनने की है, जो टेक्नोलॉजी के लिए अधिक मानवीय दृष्टिकोण की वकालत करता है। उनकी यात्रा हमें एक महत्वपूर्ण संदेश देती है: सच्ची कला इंसानी यात्रा, भावना और जुड़ाव के बारे में है – कुछ ऐसा जो आज का जेनरेटिव AI नहीं कर सकता।
👉 https://www.bbc.com/news/technology
(टेक्नोलॉजी, AI और समाज पर विश्वसनीय खबरें और रिपोर्ट्स)
दोस्तों, अब हमारी बारी है। यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि हम इस बातचीत में हिस्सा लें।
- आप जो भी कंटेंट देखते हैं, उसके बारे में गंभीरता से सोचें।
- अपने आस-पास के असली कलाकारों, लेखकों और क्रिएटर्स का समर्थन करें।
- AI के बारे में होने वाली चर्चा में सम्मानपूर्वक अपनी बात रखें।
आखिर में, जेज़ा का एक ही संदेश है: हम सब “टीम इंसानियत” का हिस्सा हैं, और हमें मिलकर एक ऐसे भविष्य का निर्माण करना होगा जो मुनाफे से ज़्यादा इंसानों को महत्व दे।
प्रश्न 1: जेज़ा ने AI के खिलाफ बोलना क्यों शुरू किया?
जवाब: क्योंकि उन्हें पता चला कि AI मॉडल असली कलाकारों के काम को बिना अनुमति ट्रेनिंग डेटा के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं और इससे कला की इंसानी यात्रा का मूल्य कम हो रहा है।
प्रश्न 2: क्या AI से बनी तस्वीरें कला हैं?
जवाब: जेज़ा के अनुसार नहीं। उनके मुताबिक कला इंसानी मेहनत, भावनाओं और कहानी से बनती है, जिसे AI दोहरा नहीं सकता।
प्रश्न 3: क्या AI पूरी तरह बुरा है?
जवाब: नहीं। हेल्थकेयर और विज्ञान जैसे क्षेत्रों में AI बेहद मददगार हो सकता है, लेकिन कला और क्रिएटिव इंडस्ट्री में इसे नियंत्रित तरीके से इस्तेमाल करना ज़रूरी है।
प्रश्न 4: समाधान क्या है?
जवाब: जेज़ा UBI (Universal Basic Income) और AI इस्तेमाल पर टैक्स जैसे मॉडल का सुझाव देते हैं ताकि इंसान और तकनीक साथ चल सकें।

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